Raipur Ed Reached The State Office Of Congress: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी कुछ नेताओं को समन देने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय राजीव भवन पहुंचे। जानकारी के अनुसार मामला पूर्व मंत्री कवासी लखमा और शराब घोटाले से जुड़ा है। टीम सुकमा में बने कांग्रेस कार्यालय के मामले में जांच के लिए पहुंची थी।
Raipur Ed Reached The State Office Of Congress: ईडी की टीम ने पीसीसी महासचिव मलकीत सिंह गैदू को समन जारी किया है। ईडी के 4 अधिकारी सुरक्षा बलों के साथ पहुंचे थे। गौरतलब है कि ईडी की टीम कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए शराब घोटाले की जांच कर रही है।
पूर्व आबकारी मंत्री लखमा जेल में हैं
ईडी ने लखमा को 15 जनवरी को गिरफ्तार किया था। ईडी ने उनसे 7 दिन की रिमांड पर पूछताछ की थी। इसके बाद उन्हें 21 जनवरी से 4 फरवरी तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया था। ईडी की विशेष अदालत उनकी रिमांड दो बार बढ़ा चुकी है। लखमा 4 मार्च तक न्यायिक रिमांड पर जेल में हैं।
ईडी का आरोप- लखमा सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे
ईडी का आरोप है कि पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे। सिंडिकेट लखमा के निर्देश पर काम करता था। शराब सिंडिकेट को उनसे मदद मिलती थी।
साथ ही शराब नीति बदलने में भी उनकी अहम भूमिका थी, जिसके चलते छत्तीसगढ़ में एफएल-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। ईडी का दावा है कि आबकारी विभाग में अनियमितताओं की जानकारी लखमा को थी, लेकिन उन्होंने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
कमीशन के पैसे से बेटे का मकान बना, कांग्रेस भवन भी बना
ईडी के वकील सौरभ पांडे ने बताया कि शराब घोटाला 3 साल तक चला। लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इस दौरान लखमा को 36 महीने में 72 करोड़ रुपए मिले। यह रकम उनके बेटे हरीश कवासी के मकान और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण पर खर्च की गई।
ईडी ने कहा था कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। शराब सिंडिकेट के लोगों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई भरी गई।
घोटाले की राशि 2161 करोड़
लखमा के खिलाफ कार्रवाई के बारे में निदेशालय ने कहा कि, ईडी की जांच में पहले ही पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में चल रहा था।
इस घोटाले की राशि 2161 करोड़ रुपये है। जांच में पता चला है कि शराब घोटाले से कवासी लखमा को पीओसी से हर महीने कमीशन मिला है। ईडी के मुताबिक, 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में इस तरह से अवैध कमाई की गई।
पार्ट-ए कमीशन: सीएसएमसीएल यानी शराब की खरीद-बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा डिस्टिलर्स से खरीदी गई शराब के प्रत्येक ‘केस’ के लिए रिश्वत ली गई।
भाग-बी कच्ची शराब की बिक्री: बेहिसाब “कच्ची ऑफ-द-बुक” देशी शराब बेची गई। इस मामले में, सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और पूरी बिक्री की आय सिंडिकेट ने जेब में डाल ली। अवैध शराब केवल सरकारी दुकानों से बेची गई।
भाग-सी कमीशन: शराब बनाने वालों से रिश्वत लेकर कार्टेल बनाया गया और एक निश्चित बाजार हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई। FL-10A लाइसेंस धारकों से कमीशन लिया गया, जिन्हें पैसे कमाने के लिए विदेशी शराब क्षेत्र में लाया गया था।